ढह जने दो रेत के इस महल को
तिनके-तिनके बिखर जाने दो
मैं देखना चाहती हूँ कि
क्या सभी मलवे, एक से लगते हैं
इस शमशान भूमि पर।

- आशा राय

Asha Roy

POET | AUTHOR | LAWYER | MOTIVATIONAL SPEAKER